छत्तीसगढ़ में स्कूल युक्तिकरण नीति पर विवाद: NSUI ने BJP सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

सक्ती, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा हाल ही में जारी 10,463 स्कूलों के युक्तिकरण के आदेश ने शिक्षा व्यवस्था में बड़े पैमाने पर विवाद खड़ा कर दिया है। सक्ती जिला NSUI अध्यक्ष मयंक सोनी ने इस नीति को शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 का उल्लंघन बताते हुए BJP सरकार पर तीखा हमला बोला है।सोनी ने कहा कि BJP ने “मोदी गारंटी” के तहत 57,000 शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था, लेकिन अब उल्टे 45,000 से अधिक शिक्षक पदों को समाप्त करने और 4,000 से ज्यादा स्कूलों को बंद करने की तैयारी है। उन्होंने इसे ग्रामीण, गरीब, आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकार पर हमला करार दिया। सोनी ने सवाल उठाया, “जब स्कूल ही नहीं रहेंगे, तो 57,000 शिक्षकों की भर्ती कहां और क्यों होगी?”
RTE अधिनियम का उल्लंघन: मयंक सोनी ने युक्तिकरण को भारतीय संविधान की धारा 21-A और RTE अधिनियम, 2009 की धारा 3, 4, और 6 का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम 6 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे को नजदीकी स्कूल में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है। स्कूलों को बंद करना बच्चों को शिक्षा से वंचित करने के साथ-साथ कानूनी उल्लंघन भी है।
CTET परिणाम में देरी: सोनी ने सरकार की असंवेदनशीलता पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य द्वारा आयोजित CTET परीक्षा को एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन परिणाम अभी तक जारी नहीं हुए। इससे हजारों युवा मानसिक और आर्थिक तनाव में हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल परिणाम जारी करे और भर्ती प्रक्रिया को 2008 के सेटअप के अनुसार पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से शुरू करे। साथ ही, देरी के कारणों की लोकसभा में रिपोर्ट पेश की जाए।
स्कूलों में बिजली बिल का संकट: NSUI अध्यक्ष ने सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाते हुए बताया कि बिजली विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों और स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों को बिजली बिल चुकाने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। उन्होंने पूछा, “क्या बच्चे गर्मी में बिना पंखे और लाइट के पढ़ाई करेंगे?” सोनी ने दावा किया कि सरकार स्कूलों को आवश्यक फंड भी उपलब्ध नहीं करा रही, जो शिक्षा के प्रति उसकी उदासीनता को दर्शाता है।
शिक्षकों और समुदाय का विरोध: शिक्षक संगठनों और मध्यान्ह भोजन मजदूर एकता यूनियन (CITU) ने भी युक्तिकरण नीति का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह नीति शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की दूरी बढ़ने से कई बच्चे, खासकर छात्राएं, शिक्षा से वंचित हो जाएंगी। पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने भी इस नीति की आलोचना की है, इसे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया।सरकार का दावा: दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि युक्तिकरण का उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। शिक्षा विभाग के अनुसार, 212 प्राथमिक स्कूल शिक्षक-विहीन हैं, और 6,872 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है। युक्तिकरण से शिक्षकों का समायोजन होगा और एकल शिक्षकीय स्कूलों की समस्या हल होगी।
NSUI की मांग: मयंक सोनी ने सरकार को चुनौती दी कि वह अपने वादों को “चुनावी जुमला” न बनाए और 57,000 शिक्षकों की भर्ती तत्काल शुरू करे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार अपने वादों पर खरी नहीं उतरती, तो यह युवाओं के साथ विश्वासघात होगा। साथ ही, उन्होंने युक्तिकरण नीति को रद्द करने और स्कूलों को बंद करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की।यह विवाद छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था और सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठा रहा है। NSUI और अन्य संगठनों ने इस मुद्दे पर आंदोलन तेज करने की घोषणा की है।